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कविता के बारे में

  कविता एक प्रकार का साहित्य है जो आम तौर पर पद्य में लिखा जाता है जिसमें अलंकारिक भाषा का उपयोग किया जाता है, या ऐसी भाषा जिसका शाब्दिक अर्थ से भिन्न अर्थ हो सकता है, किसी भी शब्द या वाक्यांश को अर्थ के कई रंग दिए जा सकते हैं। हम सब के मन में एक प्रश्न उठता है कि कविता है क्या ? मनुष्य अपने भाव, विचारधारा और व्यापारों को लिए-दिए के भाव, विचारधारा और व्यापारों के साथ कहीं और कहीं लड़ाइयां हुई अंत तक पता चला है और इसी तरह जीना है। जिस अनंत रूपात्मक क्षेत्र में यह व्यवसाय रहता है उसका नाम जगत है। जब तक कोई अपने अलगाव सत्य की भावना को ऊपर नहीं उठाता तब तक इस क्षेत्र से नाना सिद्धांत और व्यापारो को अपने योग-क्षेम, हानि-लाभ, सुख-दुख आदि से सम्बद्ध करके देखा जाता है। इन सिद्धांतों और व्यापारों के सामने जब भी वह अपना पृथक्करण सत्य की धारणा से मुक्त करता है—आपका आप बिल्कुल भूलकर—विशुद्ध भाव केवल रह जाता है, तब वह मुक्त-हृदय हो जाता है। जिस प्रकार की आत्मा की मुक्तावस्था ज्ञानदशा कहलाती है वही हृदय की यह मुक्तावस्था रसदशा कहलाती है। हृदय की इसी मुक्ति की साधना के लिए मनुष्य की वाणी जो शब्द ...

सिंधुजा अर्थात सिंधु घाटी की बारे में।

 सिंधु सभ्यता का परिचय सिधु सभ्यता वर्षों पुरानी सभ्यता है। बीसवीं सदी के द्वितीय दशक तक इस सभ्यता के विषय में कोई जानकारी नहीं थी। लोग इस सभ्यता से अपरिचित थे। इतिहासकारों की धारणा थी कि सिकन्दर के आक्रमण से पहले भारत में कोई सभ्यता नहीं थी। बीसवीं सदी के तृतीय दशक में दो पुरातत्वशास्त्रियों - दयाराम साहनी और राखलदास बनर्जी ने सिंधु सभ्यता का पता लगाया। उन्होंने हड़प्पा और मोहनजोदड़ो का पता लगाया। ये दोनों सिंधु घाटी सभ्यता के प्राचीन स्थल हैं। इनसे अनेक पुरावस्तुएँ प्राप्त हुई हैं। इससे सिद्ध हो गया कि सिकंदर के आक्रमण से पूर्व भी भारत में सभ्यता थी। यह सभ्यता अपनी समकालीन सभ्यताओं में सबसे विकसित थी। इस सभ्यता से प्राप्त अवशेषों के आधार पर इस पूरी सभ्यता को 'सिंधु घाटी सभ्यता' कहा गया। इसके अतिरिक्त इसे 'हड़प्पा सभ्यता' भी कहा जाता है, क्योंकि इसका मुख्य स्थल हड़प्पा है। सिंधु सभ्यता की खोज सबसे पहले सन् 1826 ईस्वी में चार्ल्स मैसन ने सिंधु सभ्यता का पता लगाया। इसका वर्णन उनके द्वारा 1842 ई. में प्रकाशित पुस्तक में मिलता है। आगे चलकर सन् 1921 ईस्वी में भारतीय पुरातत्...

हिन्दी की उत्पत्ति

 हर वर्ष 14 सितंबर को भारत, हिंदी की एक बोली हिंदुस्तानी को भारत की आधिकारिक भाषा के रूप में अपनाने के उपलक्ष्य में हिंदी दिवस मनाता है। यह हिंदी भाषा की समृद्धि का जश्न मनाने का भी दिन है। हिंदी एक इंडो-आर्यन भाषा है, जो लगभग 260 मिलियन लोगों द्वारा बोली जाती है। यह दुनिया में चौथी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। इस भाषा का प्रयोग भारत और प्रवासी भारतीयों की तरफ से सबसे ज्यादा किया जाता है। भारत में एक लोकप्रिय भाषा होने के साथ-साथ यह अंतर्राष्ट्रीय संचार के लिए भी एक महत्वपूर्ण भाषा बन गई है।  ऐसे में आइए जानते हैं टम भाषा से जुड़े 5 फैक्ट्स.... माना जाता है कि हिंदी की उत्पत्ति लगभग 1200 ईसा पूर्व संस्कृत के विकास के साथ हुई थी। समय के साथ इसकी विभिन्न बोलियां विकसित हुईं, जिनमें आधुनिक हिंदी भी एक है। देवनागरी लिपि के उद्भव के साथ 1000 ई.पू. के आसपास हिंदी का लिखित रूप सामने आना शुरू हुआ। हिंदी की कई बोलियां हैं जिनमें अवधी, ब्रजभाषा, बुन्देलखंडी, भोजपुरी और राजस्थानी शामिल हैं। ये बोलियां उच्चारण और स्वर में भिन्न हैं, लेकिन इन सभी की लिखित लिपि एक ही है समय के साथ हिंद...

हिन्दी की बारे में

 • हिन्दी को अपना नाम एक परसियन शब्द हिन्दू से मिला, जिसका मतलब है पवित्र नदी की भूमि। यह भी कहा जाता है कि सिधु नदी के पास जो सभ्यता फैली उसे सिंधु सभ्यता और उस क्षेत्र के लोगों को हिन्दू कहा जाने लगा जो कि सिंधु शब्द से ही बना। और इनके द्वारा बोली जाने वाली भाषा हिन्दी कहलाई। पूरे विश्व में लगभग 500 मिलियन से भी अधिक लोगों द्वारा हिन्दी भाषा का प्रयोग किया जाता है और यह सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषाओं में शामिल है • सिर्फ हिन्दुस्तान या पाकिस्तान ही नहीं, इनके अलावा मॉरीशस, फिजी, गुयाना, त्रिनिदाद, टोबागो और नेपाल में भी हिन्दी भाषा का ज्यादा प्रयोग किया जाता है। • संविधान सभा द्वारा 14 सितंबर 1949 को हिन्दी भाषा को शासकीय भाषा के तौर पर स्वीकार किया गया, जिसके बाद से ही प्रत्येक वर्ष 14 नवंबर को हिन्दी दिवस के रूप में मनाया जाने लगा, परंतु हिन्दी को भारत में राष्ट्रीय भाषा का दर्जा 1965 में दिया गया। • सन 1805 में प्रकाशित लल्लू लाल द्वारा लिखित श्रीकृष्ण पर आधारित किताब प्रेम सागर को हिन्दी में लिखी गई पहली किताब माना जाता है। अंग्रेजी की रोमन लिपि में जह...

हिन्दी की याद

हिंदी की तरह चहकना सीखो अंग्रेजी की तरह निखरना सीखो कांटो की तरह पैरों में चुभना सीखो। मतलबी दुनिया की तरह मतलबी बनना सीखो ।।

प्यार

आजकल हर दुनिया में नाकामी है  सुबह और सभी की शाम दीवानी है दिल की बात कहूं किससे। क्योंकि मेरी प्रेमिका एक प्यार की दीवानी है।।

महकती शाम

महकती सुबह और महकती शाम हूँ मैं  दिन मैं ढहकते शाम की ढलान हूं मैं हर व्यक्ति की बेचैनी का जवाब हूं मैं। क्योंकि हर व्यक्ति का पहचान हूँ मैं।।