सिंधु सभ्यता का परिचय सिधु सभ्यता वर्षों पुरानी सभ्यता है। बीसवीं सदी के द्वितीय दशक तक इस सभ्यता के विषय में कोई जानकारी नहीं थी। लोग इस सभ्यता से अपरिचित थे। इतिहासकारों की धारणा थी कि सिकन्दर के आक्रमण से पहले भारत में कोई सभ्यता नहीं थी। बीसवीं सदी के तृतीय दशक में दो पुरातत्वशास्त्रियों - दयाराम साहनी और राखलदास बनर्जी ने सिंधु सभ्यता का पता लगाया। उन्होंने हड़प्पा और मोहनजोदड़ो का पता लगाया। ये दोनों सिंधु घाटी सभ्यता के प्राचीन स्थल हैं। इनसे अनेक पुरावस्तुएँ प्राप्त हुई हैं। इससे सिद्ध हो गया कि सिकंदर के आक्रमण से पूर्व भी भारत में सभ्यता थी। यह सभ्यता अपनी समकालीन सभ्यताओं में सबसे विकसित थी। इस सभ्यता से प्राप्त अवशेषों के आधार पर इस पूरी सभ्यता को 'सिंधु घाटी सभ्यता' कहा गया। इसके अतिरिक्त इसे 'हड़प्पा सभ्यता' भी कहा जाता है, क्योंकि इसका मुख्य स्थल हड़प्पा है। सिंधु सभ्यता की खोज सबसे पहले सन् 1826 ईस्वी में चार्ल्स मैसन ने सिंधु सभ्यता का पता लगाया। इसका वर्णन उनके द्वारा 1842 ई. में प्रकाशित पुस्तक में मिलता है। आगे चलकर सन् 1921 ईस्वी में भारतीय पुरातत्...
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